_________________________________________________मुजफ्फरनगर जनपद के १०० किमी के दायरे मेंं गंगा-यमुना की धरती पर स्थित पौराणिक महाभारत क्षेत्र
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श्री भरत मंदिर का वसंतोत्सव
हिमालय की तलहटी में बसा ऋषिकेश एक अत्यंत प्राचीन तीर्थ स्थान है। यहां पर स्थित भगवान हृषिकेश नारायण के प्राचीन पौराणिक मंदिर में प्रति वर्ष बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। लाखों श्रद्धालु भक्त यहां आकर श्री भरत भगवान का दिव्य दर्शन प्राप्त करते हैं।
इस मंदिर में बसंत पंचमी का शुभ पर्व इसलिए मनाया जाता है की प्राचीन समय में आद्य शंकराचार्य जी ने वसंत पंचमी के दिन इस मंदिर की पुनःप्रतिष्ठा का कार्य संपन्न किया था। अतः उसी की स्मृति ने इस दिन यह पर्व यहां बड़े हर्षोल्लास एवं श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया जाता है।
ऋषिकेश एक बार फिर वसंत के आगमन पर उसके स्वागत के लिए सज-संवरता है। बसंत पंचमी के अवसर पर यहां एक विशाल मेला लगता है। भरत भगवान की शोभायात्रा निकाली जाती है। जिसके दर्शनों के लिए पर्वतीय अंचलों से भारी संख्या में स्त्री पुरुष श्रद्धालुगण आते हैं।
यह मेला गढ़वाल का सबसे बड़ा मेला माना जाता है। जिसमें महिलाएं, बच्चे अपनी गढ़वाली वेशभूषा को धारण कर मेले को प्राचीन संस्कृति में जोड़कर देश की एकता में समरसता भरते हैं।
इस अवसर पर पहाड़ों पर स्थित दूरदराज के स्थानों से व आस-पास के स्थानों से लोग यहां दो दिन पहले से ही आ जाते हैं। भरत भगवान के मंदिर में दर्शन पूजा-अर्चना कर अपनी मनौतियां चढ़ाई जाती हैं। मेले के दिन प्रातःकाल गंगा स्नान करके जिस मार्ग से भगवान की शोभायात्रा निकलती है सुरक्षित स्थान पर बैठ जाते हैं। भगवान को गुड़ की भेली चढ़ाते हैं यही विशेष भेंट होती है। इस दिन पूरा मेला क्षेत्र पीत रंग से रंगा होता है।
इस मेले में दूर-दूर के दुकानदार आते हैं। भोटिया जाति के लोग भी अपने हाथ की बुनी ऊनी चादरें शाल आदि बिक्री के लिए लाते हैं।
हृषिकेश भगवान की प्रतिमा को माया कुंड से लाकर मंदिर में पुनर्स्थापित करने के कारण प्रति वर्ष वसंत पंचमी के दिन हृषिकेश भगवान की उत्सव प्रतिमा को जुलूस में ढोल नगाड़ों के साथ गंगा स्नान के लिए ले जाया जाता है तथा फिर मंदिर में लाया जाता है। इस अवसर पर आयोजित उत्सव पर दूरदराज से आए श्रद्धालु मेले का दृश्य उत्पन्न कर देते हैं।
ऋषिकेश में मनाए जाने वाले वसंतोत्सव ने अब आधुनिक रूप ले लिया है। लेकिन दूरदराज से आए श्रद्धालुओं के मन में पर्व के प्रति आस्था कम नहीं हुई है।
प्रशासन द्वारा मेले को भव्य रूप देने के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया जाता है। ये समितियां मेले को भव्य रूप देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। कई दिवसीय मेले को भव्य स्वरूप देने के लिए बहुत पहले से ही हर स्तर पर जोरदार तैयारियां की जाती हैं।
खेलकूद, वाद-विवाद प्रतियोगिता, कुश्ती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ और अन्य विशेष आयोजन किए जाते हैं।
वसंत पंचमी का दिन ऋषिकेश की निराली छटा प्रस्तुत करता है।