________________________________________________मुजफ्फरनगर जनपद के १०० किमी के दायरे में गंगा-यमुना की धरती पर स्थित पौराणिक महाभारत क्षेत्र
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ऋषिकेश का राम झूला पुल एक बहुत ही दर्शनीय और लोकप्रिय स्थान है। यह पुल इस क्षेत्र का ही नहीं हमारे देश का भी एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।
इस पुल पर खड़े होकर पावन गंगा और चारों और की प्राकृतिक सुंदरता को निहारा जा सकता है।
इस पुल को सन १९८६ में हरिद्वार महाकुंभ के समय बनाया गया था।
हरिद्वार का महाकुंभ मेला लंबे समय तक चलता है। महाकुंभ मेले में आने वाले बहुत से श्रद्धालु कई दिन, सप्ताह और महीने तक यहां रहते हैं। इस दौरान श्रद्धालु हरिद्वार के महाकुंभ के स्नान पर्व में स्नान करने के अलावा हरिद्वार के पौराणिक एवं दर्शनीय स्थानों पर जाने के अलावा हरिद्वार के आसपास के दर्शनीय धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए भी जाते हैं। इन धार्मिक स्थानों में ऋषिकेश, लक्ष्मण झूला स्वर्ग आश्रम आदि स्थान भी हैं।
इन श्रद्धालुओं में एक बड़ी संख्या स्वर्गाश्रम के गीताभवन, परमार्थ निकेतन, बाबा काली कमली वाले आदि स्थानों के दर्शन करने वालों की भी होती है।
उस समय स्वर्गाश्रम पहुंचने के लिए श्रद्धालु तीर्थयात्री गंगा पार करने के लिए मुनी की रेती से मोटर बोट के द्वारा गंगा पार करके स्वर्गाश्रम पहुंचते थे।
उस समय स्वर्गाश्रम पहुंचने का दूसरा मार्ग लक्ष्मणझूला जाकर श्रद्धालु गंगा पार करके दूसरे किनारे पहुंचकर काफी दूर पैदल चलकर यहां पहुंचते थे। काफी दूर तक पैदल चलने से तीर्थ यात्रियों को थकान भी बहुत होती थी।
श्रद्धालु तीर्थयात्रियों की इस कठिनाई को ध्यान में रखकर और यहां बड़ी संख्या में आने वाले तीर्थ यात्रियों को देखते हुए उस समय स्वर्गाश्रम पर लक्ष्मणझूला की ही तरह एक तारों के रस्से से लटकता हुआ यह स्थाई पुल बनाया गया था।
लक्ष्मण झूला की ही तरह का और उससे बड़ा पुल होने के कारण उस समय स्थानीय लोगों एवं तीर्थ यात्रियों ने इस पुल को राम झूला कहना शुरू कर दिया था। बाद में इस पुल का यही नाम प्रसिद्ध हो गया।