________________________________________________मुजफ्फरनगर जनपद के १०० किमी के दायरे में गंगा-यमुना की धरती पर स्थित पौराणिक महाभारत क्षेत्र
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लक्ष्मण झूला भगवान श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी की तपस्थली है। इस समय यह एक प्रसिद्ध तीर्थ और पर्यटन स्थल है।
यह एक पौराणिक तीर्थ है। स्कंद पुराण के केदारखंड में वर्णित तथा जनश्रुतियों को यदि सच माने तो कहा जाता है कि भगवान श्रीराम और श्रीलक्ष्मण लंकापति रावण का वध करके और लंका पर विजय प्राप्त करके माता जानकी सहित जब अयोध्या पधारे। उस समय समाज में यह बात उठी कि रावण और उसका परिवार ब्राह्मण था इसलिए श्रीराम ने ब्रहमहत्या की है। उस समय के समाज में ब्रह्महत्या बहुत निंदनीय थी। अतः मुनि वशिष्ठ ने यह व्यवस्था दी कि श्रीराम और लक्ष्मण उस तपोवन में जाकर तपस्या करें जहां श्रीराम के पूर्वज महाराजा दिलीप ने अपनी तपस्या के समय नंदिनी नाम की गाय की सेवा की थी। गुरु वशिष्ठ के कहने पर भगवान श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मण जी सहित इस क्षेत्र में आए। श्री राम ने लक्ष्मण जी से कहा कि वह इस क्षेत्र में रहकर तपस्या करें और वह स्वयं गंगा पार करके उस स्थान पर भगवान शिव की आराधना करेंगे जहां भागीरथी और मंदाकिनी का संगम होता है। उस स्थान का नाम देवप्रयाग है।
श्री राम को गंगा पार कराने के लिए लक्ष्मण जी ने अपने बाणों से गंगा पर एक सेतु बना दिया। भगवान श्री राम गंगा पार करके देवप्रयाग तपस्या करने चले गए। प्रस्थान से पूर्व लक्ष्मण जी को यह आशीर्वाद दिया कि यह स्थान उनके नाम से जाना जाएगा।
लक्ष्मण जी की माता का नाम सुमित्रा था। अतः इस तीर्थ को ‘सौमित्र तीर्थ’के नाम से जाना गया। लक्ष्मण जी ने यहां २१२ वर्षों तक वायु का आहार करते हुए भगवान शंकर की आराधना की थी। आज भी ऐसा माना जाता है की यहां एक छोटे से मंदिर में स्थित शिवलिंग को लक्ष्मण जी ने स्थापित किया था।
लक्ष्मण झूला के दोनों तरफ ऊंची-ऊंची ऊंची हरीतिमा से आच्छादित पहाड़ियां हैं। पूरे पहाड़ औषधीय वनस्पतियों से भरे हुए हैं जिधर देखो उधर अप्रतिम शोभा के दर्शन होते हैं। नीचे दो पर्वत श्रृंखलाओं के बीच की तंग घाटी में कल – कल किलोल करती हुई पवित्र गंगा का सरिता प्रवाह। किसी भी तीर्थयात्री और पर्यटक का मन प्रकृति की इस विराट छटा को देखकर आनंदित उठता है।