__________________________________________________मुजफ्फरनगर जनपद(उ.प्र. भारत) के १०० कि.मी. के दायरे में गंगा-यमुना की धरती पर स्थित पौराणिक महाभारत क्षेत्र
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इस क्षेत्र में सर्व खाप पंचायत व्यवस्था हजारो साल से है।
भारत में विभिन्न धर्मों तथा वर्गों के लोग एक ही स्थान पर रहते हैं ऐसे में उनके बीच कुछ नियम-परंपराएं सदियों पहले ही बनाई गई थी। इसी परंपरा में खाप पंचायत का गठन लगभग 1000 वर्ष पूर्व विदेशी आक्रमणकारियों का सामना करने के लिए कई गोत्र के व्यक्तियों द्वारा मिलकर एक खाप का गठन किया गया था। जिससे आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया जा सके।
देश की आजादी और समाज सुधार में भी खापों ने अहम भूमिका निभाई है।
गंगा और यमुना की इस धरती पर खापों और पंचायतों की भी अपनी विशिष्टता है। अधिकतर प्रमुख खापें भी मेरठ और सहारनपुर मंडल में गंगा और यमुना नदियों के बीच में हैं। खापों का प्राचीन काल से ही अस्तित्व रहा है। मेरठ, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर की प्रमुख खापों का अस्तित्व आज भी गंगा-यमुना नदियों के बीच कायम है। अगर पंचायतों के कुछ विवादित फैसलों को छोड़ दे तो इनकी एक अहम भूमिका है।
मेरठ जिले के भदौडा व चिंदोडी, बागपत के ढिकौली व किरठल गांवों में रंजिशन हत्याओं की सीरीज पर पंचायतों ने सामाजिक दबाव के जरिए ही रोक लगाई थी।
सोरम की प्रसिद्ध चौपाल
जब जब देश की आंतरिक दशा खराब हुई। देश का राजकीय ढांचा लड़खड़ाया, तब तब धर्म और देश के नाम पर इस क्षेत्र में खाप पंचायतों का आयोजन किया गया। यहां के वीरों ने अपने तन, मन, धन से न केवल अपने क्षेत्र अपितु अपने देश में आतंक मचाने वाले विदेशी आतताई हमलावरों का डट कर सामना किया। समाज में भाईचारे और प्रेम के लिए लोगों को जागरुक भी किया ।
विदेशी लुटेरे तैमूर लंग ने सन 1389 के आखिर में हमारे देश भारत पर आक्रमण कर दिया। उस समय दिल्ली की गद्दी पर तुगलक वंश के बादशाह फिरोज शाह का पौत्र सुल्तान महमूद आसींन था। जो आलसी निर्मल और अयोग्य होने से अपने दरबारियों और सेनापति की कठपुतली बना हुआ था।
तैमूर इस पूरे क्षेत्र में आतंक मचा रखा था इस सारे क्षेत्र में तैमूर ने भयंकर मारकाट और लूट मचा रखी थी। तब यहां की खाप की पंचायती सेना ने तैमूर की सेना का डट कर मुकाबला किया था। तैमूर लंग को भोजन छोड़कर भागना पड़ा था। तीन युद्ध हरिद्वार में लड़े गए थे। पथरीगढ़ मैं तो तैमूर पर प्राणघातक चोट की गई थी। जिसमें तैमूर यहां से जान बचा कर भाग गया था। इस लड़ाई में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। पंचायती सेनाओं ने पानीपत दिल्ली मेरठ मुजफ्फरनगर तक फैल कर तैमूर की सेना से युद्ध किया था। सहारनपुर तथा हरिद्वार में तैमूर के साथ गो युद्ध किया था।
जब दिल्ली में हर रात में भीषण हमलों से तंग आकर तैमूर ने दिल्ली छोड़ कर मेरठ में शरण ली। यहां पर भी पंचायती सैनिकों ने तैमूर का पीछा नहीं छोड़ा।वे रात में जहां ठहरने की सोचते वहीं पंचायती सेना हमला कर देती थी। तैमूर लंग ने पंचायती सेना के डर से यह क्षेत्र ही छोड़ दिया था।
तैमूर लंग के साथ इस लड़ाई में इस क्षेत्र के हजारों वीर योद्धा शहीद हुए थे।
सर्व खाप -पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सर्व खाप सबसे बड़ी
पंचायत है। इसमें सभी जातियों की पंचायतों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं और सामाजिक मसलों पर मंथन करते हैं।
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शामली जनपद
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खाप बत्तीसा – ऊन (जनपद शामली)
कई शताब्दी पहले जय सिंह नामक चौधरी थे। जिन्होंने अपनी हिंदू जाति की सुरक्षा हेतु ३२ गांव का एक संगठन बनाया। जिसे खाप बत्तीसा कहा गया। जिसकी चौधराहट गांव भैंसवाल में तथा वजारत ऊन में बनाई गई। आज भी ऊन कस्बे में जय सिंह चौधरी की समाधि पर उनके परिजन प्रतिदिन दीप जलाते हैं।