___________________________________________________मुजफ्फरनगर जनपद (उ.प्र.भारत)के १००कि.मी.के दायरे में गंगा-यमुना की धरती पर स्थित पौराणिक महाभारत क्षेत्र
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हथिनी कुंड बैराज यमुना नदी पर तीन राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर हरियाणा के यमुनानगर जनपद में बना हुआ है।
1376 कि.मी.लंबी यमुना नदी देश की बहुत बड़ी नदियों में से एक है। गंगा नदी के समान ही यमुना नदी में भी पूरे वर्ष भर पानी रहता है।
इस बैराज के बनने से पहले यमुना नदी के जल पर लंबे समय तक अंतर्राज्यीय विवाद चला आ रहा था। तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव के मार्गदर्शन और उस समय के केंद्रीय जलसंसाधन मंत्री विद्याचरण शुक्ल की मध्यस्थता से 12 मई 1994 को हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच यमुना जल के बंटवारे का समझौता हुआ।
इन पांच राज्यों के बीच हुए यमुना जल समझौते को फलीभूत करने के लिए हथिनी कुंड बैराज का निर्माण कराया गया।
यमुना नदी पर इससे पहले भी अंग्रेजों के शासनकाल में सन 1872 से पहले भी यमुना नदी के जल को पश्चिमी यमुना नहर और पूर्वी यमुना नहर पर अस्थाई बांध बनाकर मोड़ा जाता था। उन्नीसवीं सदी के मध्य में अंग्रेजों के शासन काल में भारत के जल संसाधनों के विकास के लिए कार्य कर रहे रॉयल कोर के इंजीनियरों ने यमुना नदी के जल के उपयोग के लिए ताजे वाला हैड वर्क्स की योजना बनाई।
सन1872 में ताजे वाला हैड वर्क्स बनकर तैयार हुआ। लेकिन यमुना नदी के बदलते बहाव के कारण इसके स्थान को बदलने का विचार किया गया।
कई वर्षों के भू सर्वेक्षण के बाद ताजे वाला हैड वर्क्स के स्थान पर नए बैराज का निर्माण करने के लिए 3 सितंबर 1972 को उस समय के केंद्रीय सिंचाई मंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित हुई जिसमें इस बात पर सहमति बनी की शीघ्र ही नए वैकल्पित बैराज का निर्माण होना चाहिए।
सन 1978 में 3 सितंबर को यमुना नदी में भयंकर बाढ़ आई जिससे ताजे वाला हेड वको काफी नुकसान हुआ उस समय इस बैराज में कई स्थानों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ गई और उस बाढ़ में हरियाणा उत्तर प्रदेश और दिल्ली के व्यापक क्षेत्र यमुना के बाढ़ के पानी में डूब गए। यमुना नदी की इस अभूतपूर्व बाढ़ ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर यमुनानगर के हथिनी कुंड स्थान पर यमुना नदी पर अतिशीघ्र बैराज बनाने की योजना को बलवती कर दिया। सन 1979 में इस बैराज को बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया।
लेकिन बाद में इस परियोजना ने अंतर्राज्यीय जल विवाद का रूप ले लिया। 22 वर्षों तक यमुना जल के उपयोग में हिस्सेदारी को लेकर भारी कश्कमश और उतार-चढ़ाव आए। बाद में पांचों राज्यों के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ। हरियाणा के एक सदी पुराने ताजेवाला हैड वर्क्स की जगह लेने के लिए इस स्थान से यमुना नदी के 3 किलोमीटर ऊपरी क्षेत्र में हथिनी कुंड बैराज का निर्माण कराया गया।
6 सितंबर सन 1994 हथिनीकुंड बैराज की आधारशिला रखी गई। 7.06 लाख क्यूसैक बाढ़ के पानी के बहाव को सहन करने की क्षमता रखने वाले इस बैराज को ढाई साल में बनाकर पूरा कर लिया गया था।
पांच राज्यों में हुए यमुना जल बंटवारे के समझौते के अनुसार हथिनी कुंड बैराज पर उपलब्ध जल का लगभग 80 प्रतिशत पानी हरियाणा और 15 प्रतिशत पानी उत्तर प्रदेश निकालता है। इसके बाद लगभग 5 प्रतिशत कभी-कभी तो उससे भी कम पानी बचता है जो बैराज से आगे बहता है।
हथिनी कुंड बैराज से निकली पूर्वी यमुना नहर और पश्चिमी यमुना नहर से किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए पानी मिलता है। यहां 16 मेगावाट क्षमता का बिजली घर भी बनाया गया है।
इस बैराज से दिल्ली को पीने का पानी भी उपलब्ध होता है। यमुना नदी से पश्चिमी यमुना नहर के माध्यम से हरियाणा होते हुए दिल्ली पानी पहुंचता है।
हथिनी कुंड बैराज से फिलहाल हरियाणा दिल्ली उत्तर प्रदेश राज्यों में ही पानी पहुंच रहा है।
पांच राज्यों के बीच हुए पानी के बंटवारे के समझौते में राजस्थान के हिस्से में 1970 क्यूसेक पानी आएगा। राजस्थान राज्य को केवल मानसून के सीजन में 15 जून से 15 सितंबर तक ही यह पानी दिया जाएगा। योजना है कि हथिनी कुंड बैराज से पाइप लाइन के जरिए राजस्थान तक पानी पहुंचाया जाएगा लेकिन यह प्रोजेक्ट इतना सरल नहीं है इसको पूरा करने के लिए काफी मशक्कत की आवश्यकता पड़ेगी यही कारण है कि अब तक इस योजना पर काम शुरू नहीं हो पाया है।
बैराज के बनने से यहां एक सुंदर झील का निर्माण भी हुआ जिससे इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिला। बैराज के बनने से पांवटा साहब का संपर्क भी यमुनानगर से हो गया।