महाभारतकालीन पौराणिक कौरव – पांडवो की नगरी
भारत की प्राचीन संस्कृति का प्रतीक गौरवशाली हस्तिनापुर नगर
यह वही हस्तिनापुर है जिसने हमें एक ऐसा इतिहास दिया जिसे हम कभी भुला नहीं पाएंगे।
कौरव पांडवों की जो घटनाएं हस्तिनापुर में घटी हैं वह तो अधिकतर जानते हैं, लेकिन हम बहुत कम जानते हैं कि यह नगर उससे भी बहुत प्राचीन है।
यह है वही हस्तिनापुर है जिस की रक्षा के लिए भीष्म पितामह ने आजीवन ब्रह्मचर्य धारण किया और अंततः अधर्म का साथ दिया।
इसी हस्तिनापुर के लिए महाभारत का युद्ध लड़ा गया।
महाभारत जैसे महाकाव्य के पृष्ठों में हस्तिनापुर के वैभव का वर्णन है।
लेकिन मान्यता है द्रौपदी ने हस्तिनापुर को उसका सारा वैभव समाप्त हो नष्ट हो जाने का श्राप दिया था।
यही हस्तिनापुर में कौरव पांडव खेले कूदे। गुरु द्रोणाचार्य के द्वारा शस्त्र विद्या व युद्ध कला में पारंगत हुए। अर्जुन उस समय के सबसे बड़े धनुर्धारी बने।