___________________________________________________मुजफ्फरनगर जनपद (उ.प्र.भारत)के १०० कि.मी. के दायरे में गंगा-यमुना की धरती पर स्थित पौराणिक महाभारत क्षेत्र
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प्राचीन ज्ञानेश्वर महादेव मंदिर – जानसठ
प्राचीन ज्ञानेश्वर महादेव मंदिर का इस क्षेत्र में विशेष स्थान है। जानसठ कस्बे में महाभारत काल में स्थापित इस मंदिर का पौराणिक महत्व है। ज्ञानेश्वर महादेव मंदिर चमत्कारिक ही नहीं हमारी सांस्कृतिक विरासत का जीता जागता केंद्र है।
यह मंदिर जनपद मुख्यालय मुजफ्फरनगर से 22 कि.मी. दूर पानीपत खटीमा राष्ट्रीय राजमार्ग पर जानसठ कस्बे में बसायच मार्ग पर स्थित है।
ज्ञानेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शंकर, महाकाली, मां भगवती, मां जयंती देवी, हनुमान जी, भैरवनाथ एवं अन्य मंदिरों सहित महाभारत कालीन एक प्राचीन वटवृक्ष भी है।
इस मंदिर के विषय में क्षेत्रीय जनता में सैकड़ों किंवदंतियां प्रचलित हैं। मान्यता है कि कौरव-पांडवों के बीच युद्ध न हो इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध से पहले कौरव-पांडवों के बीच समझौता कराने के लिए उन्हें यहां इसी स्थान पर बुलाया था और उनके बीच वार्ता कराई थी। जिसमें वे स्वयं भी उपस्थित थे। लेकिन दुर्योधन के द्वारा पांडवों से किसी भी प्रकार का समझौता न करने पर श्री कृष्ण ने कहा था कि दुर्योधन का तो ज्ञान नष्ट हो गया।
महाभारत काल में यह स्थान हस्तिनापुर राज्य का ही हिस्सा था। मेरठ जनपद में स्थित हस्तिनापुर यहां से केवल 25 कि.मी.दूर है।
कहा जाता है ज्ञानेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में जो प्राचीन वटवृक्ष स्थित है उस समय कौरव-पांडवों के बीच जो वार्ता हुई थी वह इसी वटवृक्ष के नीचे हुई थी।
यह भी मान्यता है कि इस पवित्र स्थान पर योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ने योगमाया का दर्शन दिया था।
इस स्थान के बारे में यह भी कहा जाता है की शास्त्रों ने यह प्रमाण है कि पांडव काल में यह मंदिर कुरुवंशी राजाओं का मुख्य मंदिर था। जहां पर कौरव-पांडव अपने आराध्य देव भगवान शंकर व देवी जयंती दुर्गा की पूजा अर्चना करते थे। देवी भागवत पुराण में हस्तिनापुर के निकट देवी जयंती सिद्ध पीठ होने का प्रमाण मिलता है। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के कहने पर महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले धनुर्धारी अर्जुन ने देवी की तपस्या कर विजय का वरदान प्राप्त किया।