_________________________________________________मुजफ्फरनगर जनपद के १०० किमी के दायरे में गंगा-यमुना की धरती पर स्थित पौराणिक महाभारत क्षेत्र
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सनातन हिंदू धर्म के धर्मग्रंथों में चरथावल को चंद्रावल व चरित्रबल जैसे अनेक नामों से वर्णित किया गया है। इस कस्बे का धार्मिक महत्व महाभारत कालीन इतिहास से है।
चरथावल कस्बे में ऐसे कई धार्मिक स्थल स्थापित हैं जो और किसी अन्य स्थान पर स्थापित नहीं है।
चरथावल कस्बे में स्थित प्राचीनतम शिव मंदिर श्रद्धालुजनों की आस्था एवं श्रद्धा के केंद्र हैं।
छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध चरथावल पर भगवान भोले शंकर की असीम कृपा है। जिससे इस नगर के तीन कोणों पर तीन दिव्य शिवलिंग विराजमान हैं। इन दिव्य शिवलिंगों की कई कथाएं यहां प्रचलित हैं।
चरथावल नगर तीन ओर सड़के हैं। यहां तीनों किनारों पर दिव्य शिवलिंग विराजमान है।
*** महादेव मंदिर (बड़ा शिवालय) –
चरथावल कस्बे के प्रारंभ में ही कस्बे की सीमा पर ही थानाभवन-मुजफ्फरनगर मार्ग पर रोहाना तिराहे के पास श्री महादेव जी का अत्यंत प्राचीन मंदिर स्थित है। यह अत्यंत प्रसिद्ध मंदिर अनेकों चमत्कारिक रहस्य वह धार्मिक मान्यताएं अपने आप में छिपाए हुए हैं। जय शिवलिंग कितनी सदी पुराना है कोई नहीं जानता।
सैकड़ों वर्ष पूर्व गुरु गोरखनाथ जी के वंशजों ने इस स्थान पर तपस्या की थी। उस समय की बाबाओं की धूनी व समाधि मंदिर परिसर में आज भी विराजमान है। बताते हैं कि धूनी की राख बच्चों को बीमारियों से मुक्ति दिलाती है।
महादेव मंदिर के स्वयंभू शिवलिंग का गर्भगृह आज भी पुराने स्वरूप में ही है। यहां के लोग कहते हैं कि इस शिवलिंग पर 40 दिन नियम से जल चढ़ाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
* इस सिद्ध पीठ महादेव मंदिर में एक कुआं है, जिसके बारे में लोगों में ऐसी धारणा है कि इसके जल से स्नान करने पर चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। इस कारण यहां नहाने के लिए सुबह सवेरे से ही लोगों का जुटना शुरू हो जाता है। पूरे दिन यहां लोगों का तांता लगा रहता है। यहां पर स्थानीय लोग ही नहीं आसपास के जनपदों और प्रांतों के चर्म रोग से पीड़ित लोग भी यहां आते हैं। मान्यता है कि मंदिर के कुएं के पानी में ऐसी खासियत है कि जो भी श्रद्धालु इससे स्नान करता है, उसके चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। हालांकि ऐसी मान्यता कब से बनी और इसका कारण क्या है, इसको लेकर लोगों में एक राय नहीं है।
** महादेव मंदिर बड़ा शिवालय पर प्रतिवर्ष श्रावण मास में यहां कावड़ियों के लिए सेवा शिविर लगाया जाता है।
उक्त शिविर में दूध, चाय, खाना, मेडिकल सुविधा निशुल्क उपलब्ध होती है। स्थानीय धर्मप्रेमी कार्यकर्ता पूरे समय कांवड़ सेवा शिविर में रहकर पूरी श्रद्धा से तन-मन-धन के साथ कावड़ियों की सेवा में जुटे रहते हैं।
* महादेव मंदिर के बारे में मान्यता चली आ रही है कि शिवलिंग को जल में डुबाने से बरसात हो जाती है।
* इस मंदिर के परिसर में ही मां देवी दुर्गा का भव्य मंदिर है।
* कहा जाता है श्री लाल बहादुर शास्त्री जी जब चरथावल के पास कुरालसी गांव में अध्यापन कार्य करते थे, उस समय आर्य समाजी होते हुए भी वे चरथावल के महादेव मंदिर के दर्शन कर अभिभूत हो गए थे।
*** पुराना शिव मंदिर – मोहल्ला चौहट्टा
इस मंदिर के शिवलिंग की पिंडी जमीन से निकली हुई है। इसके बारे में किवदंती है कि 300 वर्ष पूर्ण इस मंदिर के स्थान पर रंग महल के नाम से एक विशाल भवन हुआ करता था। उस विशाल भवन में एक वैश्य परिवार रहता था। एक दिन अचानक एक कमरे की छत टूट कर नीचे गिर गई, बाद में जब लोगों ने उस स्थान को देखा तो वहां धरती से निकली हुई शिव की पिंडी सुरक्षित दिखाई दी। जबकि उस स्थान पर बाकी सब कुछ क्षतिग्रस्त हो गया था। उस शिवलिंग को देखकर सब लोग आश्चर्यचकित रह गए। लोगों ने इसे दैवीय शक्ति मानकर उस शिवलिंग की पूजा अर्चना शुरू कर दी।
यह भी बताया जाता है कि महल में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को कोई खरोच तक नहीं आई थी। बाद में वह परिवार उस भवन को छोड़कर सहारनपुर जाकर रहने लगा।
यह भी आश्चर्य की बात है कि कई बार श्रद्धालुओं ने इस कमरे की छत डलवाई लेकिन हर बार आश्चर्यजनक रूप से छत अपने आप टूट कर नीचे गिर जाती थी। तब श्रद्धालुओं ने इस स्थान को खुला ही रखने का निर्णय लिया।
मान्यता है कि पुराने शिव मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से कुछ मांगता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
इस प्राचीन शिव मंदिर के प्रति किवदंती है कि कोई भी भक्तजन बोलकर 40 दिन लगातार जल नहीं चढ़ा सकता। समय पूरा होने से पूर्व ही किसी न किसी रूप में उसके समक्ष कोई बाधा उत्पन्न हो जाती है और उसका यहां लगातार 40 दिन तक जल चढ़ाने का क्रम टूट जाता है। वहीं किसी भी श्रद्धालु के द्वारा यहां की गई अर्चना व मांगी गई मनौती हर हाल में पूर्ण होती है। इसी आस्था एवं श्रद्धा के कारण इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी इच्छाओं को लेकर आते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कुछ वर्ष पूर्व नगर वासियों एवं श्रद्धालुओं के द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवा कर यहां देव प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई है।
*** अलखपुरी शिव मंदिर
चरथावल का तीसरा मुख्य शिव मंदिर रोहाना रोड स्थित अलखपुरी शिव मंदिर है। इस मंदिर के प्राचीन शिवलिंग की दिव्य मान्यता है। कहा जाता है यहां भक्ति भाव से जलाभिषेक करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।