उत्तर भारत में श्रावण माह शिव भक्तों के लिए श्रद्धा विश्वास और शिव मंदिरों में जलाभिषेक का विशेष माह होता है। गढ़मुक्तेश्वर भगवान शिव की नगरी है।
श्रावण माह में गढ़मुक्तेश्वर का ब्रजघाट और ज्योतिबाफुले नगर का तिगरी धाम भोले शंकर के श्रद्धालु भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। लाखों श्रद्धालु भक्त श्रावण माह में शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने के लिए यहां गंगा जल भर कर ले जाने के लिए आते हैं।
श्रावण माह में वैसे तो पूरे महीने भर शिवभक्त गंगाजल लाकर शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं किंतु प्रत्येक सोमवार और शिवरात्रि का दिन जलाभिषेक के लिए महत्वपूर्ण होता है।
गढ़मुक्तेश्वर की तीर्थ नगरी ब्रजघाट से महाशिवरात्रि पर्व के लिए गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर,नोएडा, अलीगढ़, दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों के श्रद्धालु शिव भक्त शिवमंदिरों में जलाभिषेक करने के लिए कांवड़ में गंगाजलभर कर ले जाते हैं।
जबकि गंगा पार के मुरादाबाद, संभल, बरेली, रामपुर, चंदौसी, अमरोहा, चांदपुर, बिजनौर, आदि के शिव भक्तों द्वारा सावन माह के प्रत्येक सोमवार को कांवड़ में जल ले जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। जिसके चलते तीर्थ नगरी बृज घाट पर सावन के पूरे महीने कांवड़ियों का मेला लगा रहता है।
गंगा जी के उत्तरी किनारे से बृजघाट तिगरी धाम ज्योतिबाफुले नगर जिले का प्रसिद्ध गंगा घाट यहां मुख्य रुप से गजरौला, धनौरा, ज्योतिबाफुले नगर, रामपुर, मुरादाबाद, चंदौली आदि के श्रद्धालु गंगाजल लेने के लिए आते हैं।
गढ़मुक्तेश्वर तिगरी धाम से गंगा के उत्तरी क्षेत्र से गंगाजल ले जाने वाले कांवड़ियों के लिए गजरौला दूसरा मुख्य केंद्र है। यहां से श्रद्धालु मंडी धनौरा, नूरपुर, नजीबाबाद, बिजनौर, हसनपुर, उझारी जोया, अमरोहा,ज्योतिबा फुले नगर होकर मुरादाबाद चले जाते हैं।
श्रावण माह में इस क्षेत्र में कांवड़ियों का सैलाब उमड़ा आता है l हर तरफ कांवड़ियों के बोलबम के उदघोषों से पूरा क्षेत्र शिवमय बन जाता है। धार्मिक तीर्थ नगरी ब्रजघाट से आने वाला कोई भी मार्ग ऐसा नहीं होता जिस पर कांवडियों के जत्थे के जत्थे आते – जाते दिखाई न दे रहे हों।
रास्ते में जगह-जगह धर्म प्रेमी भंडारे लगाते हैं। जिनमें कांवड़ियों की सुविधा की सभी आवश्यकताओं की व्यवस्था की जाती है और भिन्न-भिन्न प्रकार का देसी घी में बना भोजन और फलों की व्यवस्था की जाती है।