_________________________________________________मुजफ्फरनगर जनपद के १०० किमी के दायरे में गंगा-यमुना की धरती पर स्थित पौराणिक महाभारत क्षेत्र
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बिजनौर जनपद में दिल्ली- कोटद्वार मार्ग पर किरतपुर और नजीबाबाद के बीच एक छोटा कस्बेनुमा गांव भनेड़ा स्थित है। इसी छोटे से कस्बे में अपने पुरखों से मिले गायन और संगीत की कला में महारत हासिल रखने वाले भंडेले रहते हैं।
पुराने जमाने में जब राजा – महाराजा और नवाब -जमीदार हुआ करते थे। ये उनके दरबारों और महफिलों में अपने संगीत और गायन से मंत्रमुग्ध कर देते थे। इनकी कला से खुश होकर उनके आश्रय दाता ढेरों धन, जागीरें और उच्च पदों से नवाजा करते थे। यह सब अब गुजरे जमाने की बातें हैं। उन महान संगीतज्ञों के वंशज आज गरीबी और गुमनामी का जीवन बीता रहे हैं।
इन्हें अपने पुरखों से मिली गायन और संगीत कला में महारत हासिल है। ये अपने बच्चों को बचपन से ही संगीत और गायन की शिक्षा देनी शुरू कर देते हैं। किशोर होने तक इनके नौनिहाल इस कला में पूरी तरह माहिर हो जाते हैं। इस तरह यहअपने पुरखों द्वारा दी गई संगीत कला गायन की महान विरासत को जीवित रखे हुए हैं।
कुछ बड़े होते ही यह नौनिहाल रोजी रोटी की तलाश में अपने वाद्य यंत्र लेकर टोलियां बनाकर गांव- गांव में घूमते हैं। किसी घर में जन्मदिन, शादी, सगाई, छठी आदि खुशी के अवसर पर यह अपना लेख लेने पहुंच जाते हैं। यह लोग रामलीलाओं आदि ने संगीत देने का कार्य करते हैं। जिससे इनकी कुछ दिनों की रोटी का जुगाड़ हो जाता है।
इन संगीतकारों की समाज तो उपेक्षा करता ही है सरकार की तरफ से भी इन्हें कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता I